“विश्व संगीत दिवस के उपलक्ष्य में विशिष्ट वेब व्याख्यान”

दिनांक 21 June 2020 की शाम आर्य महिला पी जी कॉलेज में वाद्य संगीत विभाग द्वारा एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसका विषय था ” राग यमन के विविध रंगः संगीत शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में “, कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉक्टर गीतसुधा भट्ट पारीक, सहायक प्रवक्ता, वाद्य संगीत विभाग, राजस्थान संगीत संस्थान, जयपुर रही। वक्ता ने बताया उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत परंपरा के सबसे मौलिक रागों में से एक, राग यमन, प्रसुप्त भावों को जागृत करने वाला अत्यंत मधुर राग है। अपनी सरलता, सहजता एवं सुन्दरता के कारण राग यमन संगीत के विद्यार्थियों को प्रायः प्रथम राग के रूप में सिखाया जाता है।
प्रारंभिक शिक्षा का राग होने के बाद भी इस राग में विस्तार की अनंत संभावनाएँ हैं, जिसे अथक परिश्रम और एकाग्र साधना के बाद ही सिद्ध किया जा सकता है| इसकी इसी विशेषता के कारण गुणीजनों ने इसे प्रशांत महासागर के समान भव्य बताया है| राग यमन श्रृंगार, भक्ति, करुण आदि अनेक रसों को उद्दीप्त करने की क्षमता रखता है| दिन के प्रचंड प्रकाश और रात्रि की निःशब्द नीरवता के मध्य सांध्यदीप की स्निग्ध शांति की भांति राग यमन श्रम से क्लांत मन को विश्रांति प्रदान करने में सर्वथा समर्थ है। अपने इन्हीं गुणों के कारण राग यमन, एक प्रचलित राग के रूप में, शास्त्रीय संगीत के साथ−साथ सुगम संगीत, यहाँ तक कि फिल्मी गीतों में भी सदा से प्रतिष्ठित रहा है।
विश्व संगीत दिवस के अवसर पर प्रस्तुत व्याख्यान राग यमन की इसी इन्द्रधनुषी छटा एवं उसके नाना रंगों पर विस्तार से प्रकाश डालने हेतु आयोजित किया गया था। इस आयोजन की शुरुआत गणेश वंदना (भाव नृत्य) से कु. अनुश्री भट्टाचार्य ने की।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण डॉक्टर गीता सिंह ने दिया। कार्यक्रम के संरक्षक प्रबंधक डॉ शशिकांत दीक्षित एवं प्राचार्या प्रोफ़ेसर रचना दूबे ने आशीर्वचन दिए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ दीपिका बरनवाल ने एवं संचालन सुरभि मिश्रा ने किया।इस अवसर पर डा. कामेश्वर नाथ मिश्र, डा. ममता सान्याल, डा. अनामिका दीक्षित, डा. जया राय, डा. चन्द्रकांता राय, डा. बृजबाला सिंह और महाविद्यालय के सभी छात्राएं, शिक्षिकाएं एवं अन्य गणमान्यजन ऑनलाइन उपस्थित रहे।